रविवार, 4 सितंबर 2011

ब्रह्मचारी आनंदराज



ब्रह्मचारी आनंदराज 
‘भविष्य की दुर्दशा’

निश्छल हृदयी बच्चे देखो, देखो इनकी प्यारी मुस्कान
हाँ ! एक दिन ये ही रखेंगे, भारत माँ की आन औ शान।
ये वाक्य सुने हैं मैंने देशभक्त परवानों से,
आजादी के मतवालों से स्वतंत्रता के दीवानों से।।
पर देखो ये भारत के लाल हो कर रह गए फटे हाल
नहीं नसीब है इन्हें दो समय की भी रोटी औ दाल।
क्या हुई ऐसी मजबूरी जो इनकी शिक्षा भी रह गई अधूरी,
छस साल का छोटा बच्चा भी कर रहा आज बाल मजदूरी।
जगत मंच पर क्या रहेगा विश्वगुरु भारत का मान
छोटे से हाथ हुए ये काले पैरों में पड़ चुके छाले,
दूध दही की बहती थी नदियाँ पर आज पड़े दो टूक के लाले
सूजे दर्द भरे हैं हाथ, सोने को है बस फुटपाथ,
नेताजी को आना है आज, कहकर सिपाही मारता लात।
बच्चों के लिए यहाँ रोटी नहीं योजनाएँ जाती हैं !
उफ ! मेरा भारत तो बन चुका भ्रष्टचारीयों की खान।।

कौन है इन सबका जिम्मेदार, कौन है देशद्रोही गद्दार,
हाँ अब समझ गया मैं ये तो नेताओं का है भ्रष्टाचार।
ये नेता न इन्हें बचाएँ, हमें ही बचाना होगा,
अपने हाथों में ले बागडोर, सर्वोपरि भारत को बनाना होगा।
हाँ एक दिन ये ही रखेंगे, हमारे देश की आन औ शान।।

आनन्द राज आर्य
कक्षा नवमी
गुरुकुल कुरुक्षेत्र
समीप तृतीय द्वार कुविकु
पिना-138119




 

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