रविवार, 27 अप्रैल 2014

मनुष्य की प्रतिभा ही प्रतिष्ठा की परिचायक : भट्ट

गुरुकुल कुरुक्षेत्र में एस.व्यास विश्वविद्यालय बेंगलुरु के कुलपति डॉ. रामचन्द्र भट्ट मंचासीन।
 एस.व्यास विश्वविद्यालय बेंगलुरु के कुलपति डॉ. रामचन्द्र भट्ट गुरुकुल कुरुक्षेत्र में संबोधित करते हुए
       एस.व्यास विश्वविद्यालय बेंगलुरु के कुलपति डॉ. रामचन्द्र भट्ट ने कहा कि मनुष्य की प्रतिभा ही प्रतिष्ठा की परिचायक है। इसलिए मनुष्य को अपनी प्रतिभा के कपाट खोल कर ज्ञानार्जन करते रहना चाहिए तभी वह समाज में अपने अस्तित्व को कायम रख सकता है। वे शनिवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में मु2य अतिथि के रूप में स6बोधित कर रहे थे, जबकि समारोह की अध्यक्षता वख्यात शिक्षाविद् विजय गणेश कुलकर्णी ने की। भट्ट ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा अहंकार को दूर कर संस्कारित भावों को जागृत करती है। संस्कारित व्यक्ति ही जीवन के रणक्षेत्र में अपनी अमिट छाप स्थापित कर सकता है। यदि विद्यार्थी विद्यालय की हर गतिविधियों में भाग लें तो उनका सर्वांगीण विकास निश्चित है। स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र की स्थापना कर संस्कारित शिक्षा के क्षेत्र में एक नई अलख जगाई, जो छात्रों के जीवन को एक नई दिशा प्रदान कर रही है। संस्कारित शिक्षा से ही आदर्श समाज की स्थापना हो सकती है। लार्ड मैकाले ने भारतीय स5यता व संस्कृति को मिटाने के लिए अंग्रेजी शिक्षा पर बल दिया, परन्तु हमारी संस्कृति की जड़े गहरी होने के कारण यह आज भी सुरक्षित है और भविष्य में भी रहेगी। उन्होंने कहा कि आज भारत भले ही प्रगति पथ पर अग्रसर है, परन्तु ८० प्रतिशत लोग रोगग्रस्त हैं। रासायनिक उर्वरकों के अन्धाधुंध प्रयोग के कारण दिन-प्रतिदिन रोगों में वृद्धि हो रही है जिस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। आज प्राचीन जीवन-मूल्यों को पुन: स्थापित करने की जरूरत है। इसका समाधान योग व दर्शन से ही संभव है। यदि योग व दर्शन को हम अपने जीवन का अंग बना लें, तो हम शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व बौद्धिक रूप से सबल होंगें।
गुरुकुल के प्राचार्य डॉ. देवव्रत आचार्य ने उद्बोधित करते हुए कहा कि भविष्य में आने वाला समय योग, दर्शन व वेदों के ज्ञान का होगा, 1योंकि वेद ज्ञान के बिना सामाजिक उत्थान संभव नही है। आज शिक्षा व चिकित्सा को समृद्ध बनाने की आवश्यकता है, 1योंकि प्राकृतिक खेती के अभाव में रोगों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक ऋषि कृषि को अपना कर ही रोगों पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसकी पूर्ति हेतु गुरुकुल कुरुक्षेत्र ने मार्च २०१४ में तीन दिवसीय शून्य लागत कृषि प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर किसानों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया, ताकि समाज व देश को रोग मु1त किया जा सके। प्राचार्य ने कहा कि इससे कृषकों को अधिक लाभ होगा तथा पर्यावरण भी प्रदूषित नही होगा तथा रोगों से मुक्ति मिलेगी। इस मौके पर गुरुकुल प्रबन्ध समिति के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, उप-प्राचार्य शमशेर सिंह सांगवान,प्रेस प्रव1ता डॉ.श्यामलाल शर्मा, नन्दकिशोर आर्य के अतिरिक्त सभी आचार्यगण व विद्यार्थी उपस्थित थे।

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