
गुरुकुल कुरुक्षेत्र की स्थापना अमर हुतात्मा स्वामी श्रध्दानंद जी ने १३ अप्रैल १९१२ को वैशाखी के दिन की थी | थानेसर शहर के रईश दानवीर लाला ज्योति प्रसाद जी ने गुरुकुल की स्थापना के लिए १०४८ बीघा जमीन व १००००/- चांदी के सिक्के दान स्वरूप दिए व जब तक जिए दानवारी से गुरुकुल को सींचते रहे | वर्तमान में गुरुकुल के प्राचार्य आचार्य डॉ. देवव्रत जी हैं.
रविवार, 2 जून 2013
मंगलवार, 30 अप्रैल 2013
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के नव निर्मित भवन का उद्घाटन
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के नव निर्मित भवन का उद्घाटन
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भवन |
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भवन |
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हवन |
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आहुति प्रदान करते आचार्य देवव्रत जी |
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घोष-दल |
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मुख्य-अतिथि -स्वागत |
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मुख्य-अतिथि -स्वागत |
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मुख्य-अतिथि -आशीर्वाद |
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मुख्य-अतिथि -द्वारा उद्घाटन |
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उद्घाटित प्रस्तर |
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जलपान |
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मुख्य-अतिथि -द्वारा गुरुकुल दर्शन |
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मुख्य-अतिथि -आहुति |
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मुख्य-अतिथि -स्वागत गीत द्वारा |
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मुख्य-अतिथि - व अन्य अतिथि-गण |
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मंच-संचालन द्वारा नन्दकिशोर आर्य |
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आचार्य सत्यप्रकाश जी |
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आर्ष गुरुकुल के छात्र |
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आसन |
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डोरी-मल्लखंभ |
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लकड़ी -मल्लखंभ |
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उद्बोधन आचार्य देवव्रत जी प्राचार्य गुरुकुल |
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उद्बोधन जस्टिस प्रीतम पाल जी |
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उद्बोधन जस्टिस तीर्थ सिंह जी 'ठाकुर' |
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अतिथि-सम्मान |
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अश्वारोहण |
सोमवार, 18 फ़रवरी 2013
गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013
दृढ़ दयानन्द
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दृढ़ दयानन्द |
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ब्रह्मचारी प्रशान्त द्वारा लिखित कविता |
दृढ़ दयानन्द
दयानन्द वीर था ऐसा,
मिलेगा जग में न तेरे जैसा।
शिवरात्रि वाली रात को जग याद करेगा।
जग याद करेगा।।
गुरुवर ने तुझे मारा, कोई न था तेरा सहारा।
बहन की मृत्यु पर, न तू था रोया,
चाचा की बारी पर भी न विस्मित सा होया।
वो बैलों वाली गाथा पूरा विश्व पढ़ेगा।
पूरा विश्व पढेगा।।
पाखण्डियों से लड़ा तू, धर्म-धुरन्धरों से भिड़ा तू।
क्या तेरी शक्ति थी, वो तो ईश्वर की भक्ति थी।
कफन से उठाया कपड़ा, वो मातृशक्ति ही थी।
उन वेदों वाले मन्त्रों को बच्चा-बच्चा पढ़ेगा।
बच्चा-बच्चा पढे़गा।।
पत्थरों से तुझे मारा, कटु-वचनों से न हारा।
राजा को तूने खरी सुनाई, तब नन्हींजान ने कसम खाई।
जहर भी तुझे खिलाया, कांच पीस दूध में पिलाया।
जगन्नाथ की वो गद्दारी, जग हमेशा दुत्कारेगा।
जग हमेशा दुत्कारेगा।।
रविवार, 20 जनवरी 2013
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