मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

गुरुकुल कुरुक्षेत्र के नव निर्मित भवन का उद्घाटन


गुरुकुल कुरुक्षेत्र के नव निर्मित भवन का उद्घाटन 

भवन 

भवन 

हवन 

आहुति प्रदान करते आचार्य देवव्रत जी 

घोष-दल 

मुख्य-अतिथि -स्वागत 

मुख्य-अतिथि -स्वागत 

मुख्य-अतिथि -आशीर्वाद 

मुख्य-अतिथि -द्वारा उद्घाटन 

उद्घाटित प्रस्तर 

जलपान 

मुख्य-अतिथि -द्वारा गुरुकुल दर्शन 

मुख्य-अतिथि -आहुति 

मुख्य-अतिथि -स्वागत  गीत द्वारा 

मुख्य-अतिथि - व अन्य अतिथि-गण

मंच-संचालन द्वारा नन्दकिशोर आर्य 

आचार्य सत्यप्रकाश जी 

आर्ष गुरुकुल के छात्र 

आसन 

डोरी-मल्लखंभ 

लकड़ी -मल्लखंभ 

उद्बोधन आचार्य देवव्रत जी प्राचार्य गुरुकुल 

उद्बोधन जस्टिस प्रीतम पाल जी 

उद्बोधन जस्टिस तीर्थ सिंह  जी 'ठाकुर'

अतिथि-सम्मान 

अश्वारोहण 

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

दृढ़ दयानन्द

दृढ़ दयानन्द




ब्रह्मचारी प्रशान्त द्वारा लिखित कविता 

दृढ़ दयानन्द











दयानन्द वीर था ऐसा,
मिलेगा जग में न तेरे जैसा।
शिवरात्रि वाली रात को जग याद करेगा।
जग याद करेगा।।

गुरुवर ने तुझे मारा, कोई न था तेरा सहारा।
बहन की मृत्यु पर, न तू था रोया,
चाचा की बारी पर भी न विस्मित सा होया।
वो बैलों वाली गाथा पूरा विश्व पढ़ेगा।
पूरा विश्व पढेगा।।

पाखण्डियों से लड़ा तू, धर्म-धुरन्धरों से भिड़ा तू।
क्या तेरी शक्ति थी, वो तो ईश्वर की भक्ति थी।
कफन से उठाया कपड़ा, वो मातृशक्ति ही थी।
उन वेदों वाले मन्त्रों को बच्चा-बच्चा पढ़ेगा।
बच्चा-बच्चा पढे़गा।।

पत्थरों से तुझे मारा, कटु-वचनों से न हारा।
राजा को तूने खरी सुनाई, तब नन्हींजान ने कसम खाई।
जहर भी तुझे खिलाया, कांच पीस दूध में पिलाया।
जगन्नाथ की वो गद्दारी, जग हमेशा दुत्कारेगा।

जग हमेशा दुत्कारेगा।।

रविवार, 20 जनवरी 2013

गुरुकुल में जनरल वी.के.सिंह जी का आगमन

गुरुकुल का परिचय देते प्राचार्य देवव्रत जी 
प्रधान जी स्वागत करते हुए 

अध्यापक स्वागत करते हुए 

स्वागत गीत गाते विद्यार्थी 

प्रदर्शन 

सम्मान 

घुड़सवारी का आनन्द लेते 

एन.सी.सी. के छात्र अगवानी करते हुए 

छात्रों को उद्बोधन देते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष जी